Friday, November 06, 2015

बेचैन जिंदगी : गौतम कश्यप

बेचैन जिंदगी : गौतम कश्यप

यहाँ हैं कुछ अजीब हवाएं,
जो हिला देती है.
आशाओं के धागे.
जन्म-जन्मान्तर से,
मर रहा हूँ, जी रहा हूँ,
एल्बम की पुरानी छवियों में,

खुद को न ढूंढ पाता हूँ.
ऐसा लगता है, कभी-कभी
मानो आत्मा है मेरी खाली
और मैं चुप-चाप बैठा हूँ,
बिना कुछ खाए-पिए,
रात्रि-भोजन को ढक दिया मैंने.
जल्दीबाजी में नहीं हूँ,
कि मोमबत्ती बुझाऊं,
और लेट जाऊं.
मुझे ना सही, शायद
किसी और को हो जरुरत .. 

Lecture and Interaction with Russian Language Teachers at Banaras Hindu University

  I had the pleasure of meeting with Russian language teachers at Banaras Hindu University and delivering a lecture to future Russian langua...