Friday, October 09, 2015

औरत : वालेरी ब्र्युसोव / Женщине : Валерий Брюсов

औरत :  वालेरी ब्र्युसोव
Translated in Hindi by  Gautam Kashyap
 
तुम औरत, तुम हो किताबों के बीच एक किताब
तुम हो लिपटी, भोजपत्र के पन्नों की भांति
उस पर अंकित पंक्तियों के अतिरेक शब्द
और विचारों में रहती हो, हरदम बौराई.

तुम - औरत,  तुम – चुड़ैल की चाय^ !
गर्म इतनी, कि मुंह में न जा पाए;
जो पीये आग की लपट, उसकी चीख रुक जाय,
सहते हुए यातना, प्रशंसा किये जाय.

तुम औरत, तुम हो सही.
सदियों से तुमने धारण किये,
 सितारों के ताज
तुम, हमारे दिल की गहराई में उतर गई
बन कर देवी की छवि!

हम उठाते हैं, लोहे का जुआ, तुम्हारे लिए
हम तोड़ते हैं, पर्वतों को, तुम्हारे लिए
 और सदियों से, करते आ रहे हैं प्रार्थना
तुम्हारी ही.

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  «Женщине» Валерий Брюсов

Ты — женщина, ты — книга между книг,
 Ты — свернутый, запечатленный свиток;
 В его строках и дум и слов избыток,
 В его листах безумен каждый миг.

Ты — женщина, ты — ведьмовский напиток!
 Он жжет огнем, едва в уста проник;
 Но пьющий пламя подавляет крик
 И славословит бешено средь пыток.

Ты — женщина, и этим ты права.
 От века убрана короной звездной,
 Ты — в наших безднах образ божества!

Мы для тебя влечем ярем железный,
 Тебе мы служим, тверди гор дробя,
 И молимся — от века — на тебя!

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